Tuesday, May 12, 2009

राजगढ़ में गली क्रिकेट

मै राजगढ़ से १९९७ से बाहर निकला हुआ हू | एकमात्र खेल जो हमने बचपन से खेला है वो है क्रिकेट | ऐसी ऐसी जगह खेलते थे जहा घरवाले मन करते थे, लेकिन कही और खेलने की जगह भी नहीं होती थी | जो बड़ी फील्ड थी वो उस समय हमें दूर लगती थी सो पास मै जो जगह थी वही खेल लिया करते थे |

उनमे से एक जगह थी 'खाई' | मेरे ख़याल से जो लोग राजगढ़ से परिचित है वो खाई के बारे मै जानते ही होगे | वैसे मैंने कभी नापी नहीं है लेकिन २ मंजिल गहरी तो होगी |बरसात से दिनों मै खाई में आस पास के गड्ढो में पानी भर जाया करता था लेकिन तब भी खेले बिना नहीं मानते थे | हर ओवर में कई बार गेंद गंदे पानी में जाया करती थी, उसी पानी में से निकाल कर खेल लिया करते थे | अब शायद नहीं खेल सकते है उस अंदाज़ में | सबसे ज्यादा मनोरंजक चीज होती थी खाई से गेंद पार करना| फिर गेंद ढूँढने में जो दिक्कत होती थी पूछिए मत | सब लोग एक एक दो दो रूपये मिला कर कॉर्क की गेंद ख़रीदे करते थे |

बागराज की पाल भी एक दूसरी जगह थी जहा बाकायदा पैसो के साथ मैच खेले जाते थे| किले की प्रष्ठभूमि में बना यह मैदान खेलने में काफी बड़ा था | यहाँ भी एक दिक्कत थी, कभी कभी गेंद नीचे खेतो में चली जाती थी | पहले उन खेतो में हम सरसों/चने का साग खाने जाया करते थे | अब तो उस तरफ गया हुआ मुझे एक अरसा हो गया है|

बाघराजकी पाल के नीचे खेतों में आज भी लहलहा रही है सरसों की फसल


ढूंडा, यह भी एक मस्त जगह थी जहा पर बच्चो से लेकर बड़ी उम्र के लोग भी खेला करते थे | यह छोटा सा मैदान तीन तरफ से मकानों से घिरा हुआ एक प्लाट था | भंडारी के घर के पास की जगह जहा हम लकडी के बल्ले से खेला करते थे, हर बार गेंद किसी न किसी के घर में जाया करती थी, तुंरत भाग लिया करते थे, फिर मोहल्ले के लड़के लाया करते थे उन घरो से गेंद | यहाँ पर कभी कभी रावण का पुतला भी जलाया करते थे| अब शायद ही उस गली में कोई रावण का पुतला बनता एवं जलाता होगा |

१२ वी कक्षा के बाद कभी कभी भुखमारियो की बावडी पर भी खेला करते थे| वैसे बहुत जगह खेले है लेकिन यह सब जगह ऐसी है जहा मै सबसे ज्यादा खेला हू | यह कुछ पुरानी यादें है राजगढ़ के साथ जुडी हुई जो कभी भूली नहीं जा सकती है

बहुत समय बाद हिंदी में लिख रहा हू| कोई त्रुटी हो भाषा के प्रयोग में तो माफ़ी चाहूँगा |

गौरव कुमार

5 comments:

  1. बहुत खूब याद दिलाया , पर घर की छत को भूल गये , क्रिकेट मे मेरा शोक नहीं था पर याद है की या तो 8 या 9 वे नम्बर पर उतरता था या अम्पायर बनता था , पुरानी याद ताजा कर दी गौरव भाई .

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  2. Plz tell us something about Jharna, Alewa, Fort. Really these all are beautiful places and Full of peace.
    Beautiful temple of Govinddev ji and Chaupad ke Golgappe.

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  3. bhai bahut acha lekha hai yade taja ho gaye hmne tumhare sath to nahi pr waise in sab jago per cricket bauht khela hai good or yar tera lekne main bhi hath bauht saff ho gaya hai chinta mt karo maine bhi lekhna shru kr diya hai tc

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  4. Nice read ...Rajgarh ke bare me Jankar kafi acha laga....Intresting !

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