Saturday, May 23, 2009

याद आते हैं ये शिक्षक

गुरुर बह्रमा गुरुर विष्णु ...........
राजगढ़ की कोई भी बात अपने गुरुजनों की बात किये बिना आगे नहीं बढ़ पायेगी। नर्सरी से लेकर बी.कॉम तक के सफर मे जाने कितने शिक्षकों से अ -आ - ई से लेकर जिंदगी की कड़ी सचाई का सामना करने कि शिक्षा मिली। घर की प्रथम पाठशाला में माँ ही प्रथम शिक्षक थी, घर के बाहर न्यू मॉडर्न स्कूल मे अवस्थी सर और दुब्बे मैडम के रूप मे प्रथम विधालय शिक्षक से सम्पर्क हुआ था। बहुत अच्छी तरह याद है कि बिना टॉफी के स्कूल तो जाना ही नहीं होता था। पहले टॉफी और फिर स्कूल।

खैर , ये सौभाग्य रहा कि हर क्लास मे राजगढ़ के बढ़िया गुरुओं का सान्निध्य प्राप्त हुआ। पांचवीं क्लास के बाद से कॉलेज तक का अध्यापन सरकारी विद्यालय - कॉलेज से ही हुआ। घर से बाहर जब पहली बार स्कूल के लिया कदम निकला तो अवस्थी सर के अनुशासन और दुब्बे मैडम के स्‍नेह वात्सल्‍य प्रेम से नींव डली । नंबर तीन स्कूल में सतीश सर ने उसे सीचने क्या काम किया। यही कौशल सर ने भी बहुत सहारा दिया जहाँ टयूश्‍न पड़ने जाते थे। एक घंटे कि जगह दो घंटे और सन्डे को कम से कम तीन घंटे पढाया करते थे। नंबर तीन स्कूल में उस समय के हेडमास्टर प्रहलाद राय जी थे, आपको शिक्षा के क्षे. मे राष्ट्रपति पुरस्‍कार मिला था। आगे सीनियर सैकंडरी स्कूल में आये तो जयदेव मुखर्जी प्रिंसिपल थे । आप भी राष्ट्रपति पुरस्‍कार से सम्मानित हैं, जिनके सान्निध्य में कुछ समय रहने क्या मौका मिला। यहाँ सहल सर और वशिष्‍ठजी सर ने अंग्रेजी सुधारने मे बहुत मेहनत की।

वैसे कॉलेज में कहते है सब अपने मन के मालिक है, पर यहाँ भी कुछ अच्छे गुरु मिले। अकाउन्ट्स के विष्‍णु गुप्ता सर, जिनके पढाने की स्टाइल ऐसी थी कि अकाउन्ट्स जैसा विषय बड़ा आसन लगता था और न उनकी कभी हमको छोड़ने की इच्छा होती थी और न हमारी उनको छोड़ने की। यहाँ वैद सर भी थे जिनसे यदि हम कभी पड़ना नहीं चाहते थे तो भी पूरे कॉलेज मे वो हमहो ढूँढ ही लेते थे और जहाँ हम पकड़ में आए वहीं क्लास चालू चाहे वो कॉलेज की छत हो साइंस लैब या बाहर एक चाय की दुकान

यहाँ मैं गजानंद सर को भी कभी नहीं भूल सकता। स्काउट वाले गजानंद सर .. एक स्काउट के रूप मे खुद को कई तरह से विकसित कर पाए। चूल्‍हे पर खाना बनाना। कैंप को सजाना रात को कैंप मे पहरा देना, न भूलने वाले दिन है वो . सतीश सर ने स्काउट मे शामिल होने के लिये पापा को तैयार किया था और गजानंद सर ने इस स्काउट को राष्ट्रपति स्काउट बना दिया। धन्यवाद सर ,

यहाँ मुझको अपने पापा और ताउजी के रूप में दो ऐसे शिक्षक भी मिले, जिन्होने तर्क, दर्शन और सामाजिक परम्पराओं को समय के साथ देखने का नजरिया और समय के साथ संघर्ष की ताकत दी।

जब मैं अपने शिक्षक याद कर रहा हूँ तो हेडमास्टर प्रहलादराय जी का "बेटी" , लक्ष्मीनारायण सर की "अल्प बचत योजना" ,पीटीआई यादव सर का "ए लड़के ", टूशन के लिये प्रसिद्ध प्रेमप्रकाशजी सिद्ध - "पृथ्वी गोल है घूमकर एक ही जगह आती है " और याद है दीनदयाल जी " तुम पढ़ने कोई आते हो मेरी .... देखने आते हो " के तकिया कलाम भी याद आते हैं।

यहाँ एक शिक्षक को भी याद करना जरूरी है " आजाद हिंद सेना " आठ साल के इस सफर में न जाने कितना कुछ सीखा। एक एक पैसा जोड़कर काफी काम किए। उस समय राजगढ़ में हमारी ये सेना राजगढ़ का सबसे ज्यादा सक्रिय संगठन हो गया था . ( आजाद हिंद सेना पर जल्द ही आ रहा हूं )
आज भी जब इनमे से बहुत से गुरुओ से मुलाकात होती है, तो उनका सान्निध्य आज भी ताकत और प्रेरणा देता हैं

4 comments:

  1. प्रशांत भाई

    यादें ताजा कर दीं तुमने यार

    डीडी सर का डायलॉग मजेदार था

    मेरे तो दिमाग से उतर ही गया था
    तुमने याद दिला दिया

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  2. सही मे इन सब teachers का बहुत यौगदान् है आज जहा भी पहुचे है । science ke bhi bahut teachers ka naam lena chahunga jaise ki jain sir unke padhane ka andaaz bhi mast tha, prem prakash jangir, Mittal sir. sab apne apne field me master the. kaushal sir ke tution padha karte the to uper pahadi per nikal jaaya karte the. prahlad sir is the most admirable teacher for me. lekin ab itne achche teacher nahi hai, pahle jo standard tha high school ka ab wo raha hi nahi, jo discipline tha wo sab gayab ho gaya hai, Grover sir PTI ki ek aawaaz me sab ladke under. shaayad aaj us tarah ke teacher nahi aate.

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  3. sahi main yar tumne yad dila diye wo collage or school k din jb vaidh sir hmko dundh -2 k padhiya karte the yar tum isme ek baat or bhul gaye wo hamara national youth camp jo k jaipur main laga tha jo k hamri life ka sabse ache campo main se ek tha is camp main jane ka moka hame RC Meena ji k wajhe se mila tha jo padhne k alwa hr Kam main fayda pauchte the bus padhate nahi the thanks for our this blog

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  4. or bhi ji please aazad hind sena k bare main jaldi lekhna us se hamne bahut kuch seekha hai

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