Friday, May 22, 2009

राजगढ़ में खान पान

बहुत दिनों से इस ब्लॉग पर कोई हलचल नही हुई तो सोचा कुछ लिखू, फिलहाल दक्षिण भारत में हु तो अपने जैसे खाने की तो दिक्कत रहती ही है, सो उसी खान पान को याद कर रहा हु,
बचपन से ही हम सब दोस्तों को बाहर थोड़ा बहुत खाने की आदत रही है, बचपन में जब नम्बर ३ स्कूल में थे (क्लास 6-8) तो बाहर मूला की चाट खाया करते थे, अब तो शायद नही आता हो वो बंदा (मुझे पक्का पता नही)। वो बहुत फेमस चाट वाला था उस समय, १६-१७ साल हो गए हा इन बातो को।
गोल गप्पे शायद सब लोगो को पसंद हो, गोल चक्कर पर एक ठेले वाला था नाम याद नही आ रहा शायद कोई दोस्त लोग बताएगा, वैसे और भी गोल गप्प्पे वाले लोग थे जैसे की एक बंदा अभी भी सिनेमा हॉल के रस्ते पैर बैठता है उसके यहाँ भी गोलगप्पे विद फूकनी (pipe) पुरानी सीनियर स्कूल के नीचे भी एक आलू टिक्की वाला होता था, वो भी मस्त चाट बनता था हर बार उसको बोलते थे की भैया हरी मिर्ची और प्याज ज्यादा, फ़िर मिर्ची लगने पर एक मीठी पपडी,
गोल चक्कर पर बहुत सारे हलवाई है, वह पर सबसे ज्यादा लोग कचोरी, दही की पकोड़ी एवं बल्ले खाने आया करते है जो शायद अब भी जारी हो|
चाँद पोला की पकोड़ी भी मस्त होती थी लहसुन की चटनी के साथ। अब तो उसने परमानेंट दूकान खोल ली है|
आजाद कुल्फी वाला यह तो हर कोई जानता होगा, अब तो उसके बेटे वो ठेली चलते है लेकिन अभी भी वो ही ठंडक, मिठास बरकरार है, जब कभी भी घर जाते है तो शायद ही ऐसा कोई दिन हो जब दोस्त लोगो के साथ कुल्फी न खाई हो|
गन्ने का रस पहले बावडी पर पिया करते थे बाद में उसकी क्वालिटी ख़राब हो गई तो फ़िर सब्जी मंडी पर पिया करते थे , फिलहाल माचाडी चौक बस स्टैंड पर सबसे अच्छा मिलता है |
लस्सी पहले गोल चक्कर बहुत लस्सी वालो के पीया करते थे लेकिन आजकल श्री हलवाई के यहाँ सबसे सही मिलती है,
वैसे सब लोगो की अपनी अपनी पसंद है, और भी बहुत सारी चीजे खाने की मिलती है| हो सकता है की कुछ का जिक्र बाकी रहा गया हो तो पाठक लोग कमेंट्स में जोड़ देंगे|

गौरव कुमार

5 comments:

  1. Yaar abhi ka to pata nahi, par 2 saal pahle chaupad par ek aadmi golgappe ki tthel lagaya karta tha, bahut shaandaar golgappe banata tha.

    ek baar to hum dosto ne golgappe khana suru kiya, aur jab golgappe kha ke ruke to usne kaha ki 55 Rs. ke golgappe hogaye.

    Yaar kitne hote the 55 rs ke golgappe!
    2 Rs ke 4 golgappe deta tha.

    Vo bhelpoori bhi banata tha, par utna maza nahi aata tha.

    Uske saamne hi ek kulfi wala khada hota tha, Lajabab kulfi banata tha.

    Mujhe "Kaana halwaai" ke pede kabhi acche nahi lage, jabki duniya uski bahut taarif karti thi.

    Juice pine ke liye Humlog (mein,Neeraj-2,Kailash saini)Mela ka chauraha se kucch pahle left hand par ek shop thi, us par jaate the.

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  2. भाई गौरव
    बहुत बढिया लिखा
    और रही सही कसर माधवजी की
    टिप्‍पणी ने पूरी कर दी।
    भई बाकी सारी बातें अच्‍छी हैं
    पर जब खाने और राजगढ की बात चलती है तो मां के हाथ का खाना याद आ जाता है।
    उससे बढिया दुनिया में कुछ नही है।
    और तब तो बहुत याद आती है जब आज की तरह भूख के मारे दम निकल रहा हो और खाने को कुछ भी न हो आज की तरह !

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  3. यार राजगढ़ जाना पडेगा , इतनी सारी चीज याद दिला दी अब वैसे भी अपना शोक तो कुछ ज्यादा ही है ,कल ही जा रहा हूँ . बिल गौरव भाई तेरे अकाउंट मे डालूँगा ... बहुत अच्छा लिखा है .

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  4. Bhai us golgappe wale ka name KISMAT h... n aap kana ji ki rabri ko bhool gye... moola ki chat bahut tasty hoti thi 50 paise me aati thi... really ab aap chahe five star me baith kar khao bt jo swad in cheejo ka h wo kabhi nhi aaega... dosto k sath milkar 50-50 paise jodkar golgappe khane ki baat kuch or hi thi...
    i always miss those wonderful days...

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  5. bhai sabh us golgape wale ka nam kismat golgape wala the us k gogape wastav main bahut ache hote thi sahi ab jab rajgarh main aaye to ye sab chezz hame khila kr apne yade taja kr lena

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